Add To collaction

जंगल यात्रा (लेखनी प्रतियोगिता -06-Dec-2021)

सो आज का टॉपिक है यात्रा वृतांत ......


वैसे तो मैं बचपन से ही बहुत सारी जगहों पर घूमती आ रही हु चलिए आज आपको एक नही तीन चार किस्सों से अपने रूबरू करवाती हु ..बचपन से ही मुझे घूमने फिरने का शौख  है सबसे ज्यादा तो जंगलों में ...तो चलिए आज उसी से संबंधित कुछ बाते है ।

सबसे पहले की मुझे जंगल से बहुत प्रेम है ...इतना की मैं अपना घर जंगल में बनवाना चाहती थी..पर खैर वो पूरा नही हो पाया ....शोर शराबे वाली जगह से तो अच्छा मुझे जंगल लगता है और उससे भी प्यारे जानवर

.. कोरोना खतम हो बस पापा के साथ एक बार दुधवा नेशनल पार्क जरूर जाऊंगी ......अब अपनी जंगल से रिलेटेड किस्से बताती हु ......एक नहीं है बहुत सारे है 🤗🌳......

सबसे पहले तो जोधपुर की है ...ज्यादा बड़ी नहीं थी पर इतनी थी की बाद याद है ....मेरी सारी कहानी आर्मी क्वार्टर्स से ही शुरू होती हैं...क्योंकि मेरी आधी जिंदगी तो वही गुजरी है ....तो ये बात नॉर्मल बात  है की जहां आर्मी क्वार्टर्स होंगे वो एरिया जंगल वाला जरूर होगा ...सो बस एक बार मेरे चाचू आए थे जोधपुर हम लोगो से मिलने ....वो मेरे फेवरेट वाले चाचू है और मुझे बोलना भी उन्होंने ही सिखाया था .....कुछ दिन चाचू हमारे साथ रहे...हमने खूब मजे किए ..रोज जगल में  घूमने जाना ज्यादा अंदर नही... बाहर बाहर से ही....फिर वहां से मै और दीदी खरगोश पकड़कर लाते थे और मम्मी पापा उन्हे छोड़कर आते थे 😂....फिर वो दिन आ गया जब अंकल को वापस गांव के लिए स्टेशन जाना तो वो सुबह ही पापा के साथ निकल गए .....उन लोगो के जाने के बाद मै और दीदी बाहर ही बैठें थे ,और मम्मी अंदर किचन में लगी थी ....तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और हम दोनो निकल गए अंकल से मिलने स्टेशन पर 

(दीदी को सब याद है मैं छोटी थी तो इतना क्लीयर नही याद कुछ ...अभी उनसे पूछ पूछकर लिख रही और साथ में मम्मी से भी )

छोटे थे तो कुछ भी नही पता था .....हम लोग अपने आर्मी क्वार्टर्स के गेट से निकले और रोड पर जाने के बजाए जंगल में घुस गए 😂😂पर भगवान का शुक्र है उसमे खूंखार जानवर नही थे वरना मै आप लोगो को नही मिल पाती 😂😂.....ज्यादा अंदर नही घुसे थे पर इतना चले गए थे की मोर ,खरगोश और गाय - भैस दिख गए ....फिर झाड़ियों और पेड़ो को पार करते हुए हम लोग रोड पर पहुंच गए और सामने पुल था तो दीदी मेरा हाथ पकड़कर उसपर बिठा दी और खुद भी बैठ गई ....नीचे पानी पूरे वेग में बह रहा था और हम लोग मजे से पैर हिलाते हुए इधर - उधर देख रहे थे की तभी वहां से एक आर्मी वाले अंकल जा रहें थे ...हमारे ही यूनिट के थे ...हमे वहां पूल पर बैठा देख दीदी से पूछे की - बिटिया क्या कर रही हो ??....दीदी ने कहा की - बस अंकल से मिलने स्टेशन पर जा रहे है ....😂...वो थोड़ा डर गए क्योंकि हम पूल पर जो बैठे थे...दूसरी तरफ मम्मी की हालत खराब हो गईं थी की बच्ची कहा गई .....वो इधर - उधर सबसे पूछ रही थी ....उधर अंकल हमे फुसलाने में लगे थे की बिटिया पूल पर से उतर जाओ ....पर  😁 हम शैतान लोग कहा मानने वाले थे ...तभी वहां से कोको कोला वाला गुजर रहा था तो अंकल ने खरीदा और हमे दिखाकर बुलाने लगे और साथ में घर पर भी फोन कर दिया की बच्चियां पूल के पास है ........हम दोनों पूल से उतर गए और अंकल के हाथ से कोको कोला लेकर पीने लगे की तभी दीदी के गालों पर तडाक से एक चांटा पड़ा ....मै बच गई 😂मै छोटी थी ना .....मम्मी फिर दोनो लोगो का कान पकड़ कर घर ले गई ....और उसके आगे क्या हुआ वो आप लोगो को पता होगा 😂😂फिर बाद में कोको कोला भी पीने को दी थी 😆.........ये थी जंगल और पूल वाली कहानी ...

दूसरा है बरेली का ... ...उधर ये था की मै और दीदी रोज सुबह - शाम वॉक पर जाते थे ..और  जंगल था पूरा तो साथ में मोरो की पूरी झुंड मिल जाती है ....वो बिल्कुल हमारे सामने से निकल जाते थे , तो कभी पेड़ो पर बैठकर अपनी आवाज निकालते थे....एक शाम ये हुआ की हम लोग थोड़ा लेट निकले घर से वॉक करने के लिए.....

.( आर्मी क्वार्टर्स के पास जो जंगल होता है ना वहां खूंखार जानवर नही रहते ... हां कभी कभार अगर एरिया खतरनाक होता है तो मिल जाते है 😂😂)

लोग घूम ही रहे थे और उस दिन पता नही कैसे पर स्ट्रीट लाइट जल नही रही थी तो अंधेरा भी था .....हम लोग एक छोटा सा  डंडा लेकर जाते थे घूमने...तो बस जैसे ही हम दोनो रनिंग करना शुरू किए..पीछे से कोई चिल्लाया की - अरे भागो सब ....जंगली सुअर आ गया है .... हम दोनो  तो अपने में मगन उधर ही बढ़ते जा रहे थे....जंगल - रोड एक साथ ही था 😆....अंकल फिर से चिल्लाए तो हमे पता चला ...और दीदी पीछे भागने लगी और मैं उधर जहां सुवर था 😂😂...मै करीब पहुंच गई थी की दीदी मुझे खींचते हुए दूसरे तरफ लेकर भागने लगी ....हम दोनो काफी दूर भागते रहे कैंट मे ही और इतना भागे की पापा के यूनिट के पास पहुंच गए 😂 जहा लोग स्कूटी , मोटरसाइकिल से जाते थे .............फिर दूसरे साइड का रास्ता देखते हुए .....सेफ्टी से हम लोग घर पहुंचे थे और तय किए की आज के बाद से कभी शाम को घूमने नही जायेंगे😂😂😂.......


तीसरा है - सिलीगुड़ी का ..जैसा की पहले ही लिखी थी की नदी था क्वार्टर के बगल में तो ये पूरा नॉर्मल था की जंगल हो .....हम लोगो को क्वार्टर पता कैसे था ...लाइक - पहले क्वार्टर ,फिर पीछे जंगल ,उसके पीछे पूरा कैंट ..आर्मी वाला...उसके साथ ही जुड़ा पापा लोगो का यूनिट और उसके पीछे पहाड़िया ....वही दार्जिलिंग की पहाड़िया 😍😍😍........

तो बस सब कुछ ठीक था एक चीज डरावनी थी और वो ये की पहाड़ी वाला जो जंगल था वहां पर हाथिया रहती थी ..( कोई उन्हे हाथी नही कहता था बल्कि महाराज जी कहते थे )
घर के पीछे जो जंगल था ना पहले आगे से बैर के थे ...सच्ची बहुत टेस्टी होते थे उसके बैर ... हम बच्चों लोगो की टोली पूरे दोपहर उस जंगल में रहती थी ....अंदर नही ....बाहर बाहर ही😉😂
....वहां महाराज जी का बहुत डर था..🙄😳..और हम लोगो को तो सबसे ज्यादा डर तब लगता था जब सिलीगुड़ी स्टेशन पर जाना होता था ....पूरा रास्ता  सुनसान रहता था ...दोनो साइड जंगल और बीच में रोड ..और जगहों पर तो हम नॉर्मली ऑटो से चले जाते थे।
पर सिलीगुड़ी में ...आर्मी वाली बस से ही जाते थे स्टेशन ....पूरी सेफ्टी के साथ ताकि कुछ हो ना किसी को .....ऊपर से सबसे बड़ा बेड लक पता क्या होता था ...😂😂😂हमे गांव जाने की टिकट्स ना रात वाली मिलती थी..फिर तो मम्मी खाने को पूरा 360 सिक्योरिटी के साथ पैक करती थी ताकि जब जंगल से बस गुजरे तो खाने की खुशबू सूंघकर वो हाथी अटैक ना करके ....क्योंकि 20 मिनट लगते थे क्रॉस करने में .....,ऊपर से हाथी के बहुत किस्से थे वो भी डरवाने वाले तो डर था ........।  वहां ऐसा था की 3 टाइम सायरन बजता था ....अगर पहला बजता था तो मतलब महाराज जी ...बोगरा पहुंच गए ,दूसरा बजा तो मतलब - पूूल पर और तीसरा बजा तो मतलब - क्वार्टर के पीछे 😂

😂😁.......और एक दिन तीसरा बज ही गया .....हम लोग का जो बिल्डिंग था ...उसमे 12 क्वार्टर्स थे ..फिर दूसरा बिल्डिंग ..उसमे भी 12 क्वार्टर्स ...ऐसे करके सबका ब्लॉक्स में बाटा हुआ था ......तो जो मेरा वाला क्वार्टर था उसका बालकनी सामने था ...और  जो हमारे बगल मे आंटी रहती थी उनका ...🙄जंगल की तरफ ....तो बस जब सायरन बजा  तो  हम लोग सारे खाने पीने की चीजों को छुपा दिए क्योंकि वो खुशबू सूंघकर अटैक करता था .....पर पड़ोस वाली आंटी से गलती हो गई उन्होंने किचन की खिड़की के साइड पर केले टांगे थे आते खिड़की बंद करना भूल गई ...फिर क्या वो महाराज जी आए और ऐसा अटैक किए किचन की खिड़की पर की उसका बुरा हाल हो गया ...फिर से पूरा किचन ठीक करवाना पड़ा था 😐🙄....वो केले लेकर भी चला गया था...😂पर तब तक आर्मी की टीम सायरन बजा बजा बजाकर उसे वापस जंगल की तरफ जाने के लिए मोड़ दी…....तो बस यही है मेरी जंगल , जानवरों से रिलेटेड यादें 😉और भी है पर कभी और लिखूंगी .....

पर जो भी थे ..मुझे एडवेंचरस बनाकर चले गए 😂😂😂मै पूरा ट्रिप चाहती हू ...किसी जंगल का ....खैर वो पूरा नही होगा कॉलेज वालो से तो मुझे खुद ही करना पड़ेगा 😂.......।

   9
7 Comments

Niraj Pandey

06-Dec-2021 11:45 PM

गजब की रही आपकी जंगल सफारी

Reply

Shrishti pandey

06-Dec-2021 11:36 PM

Badhiya hai

Reply

Seema Priyadarshini sahay

06-Dec-2021 06:38 PM

बहुत खूबसूरत आपकी यादें।❤️

Reply